Friday, January 11, 2013

तसलीमा नसरीन को भारत में सुरशित जगह न देने का मामला हो या मकबूल फिदा हुसेन को भारत की नागरिकता न छोड़ने के लिए राजी


आपको यह सुनने में विचित्र लगेगा और बहुत से लोग मेरी इस सोच से इत्तफाक नहीं रखते होंगे की हमारी सोचने की शक्ति इतनी बढ गयी हे की हम अपने धार्मिक ग्रन्थ वेद पुरा आदि में क्या सही हे और क्या गलत हे अपने विवेक से फैसला ले लेते हे | इस्लाम में मुस्लमान अगर उसके धार्मिक ग्रन्थ में कुछ गलत भी हे तो भी उससे अलग नहीं जा सकता |जो उसमे लिखा हे उसके हिसाब से आज भी चल रहा हे |

धर्म की प्रति हमारी आस्था ख़त्म होती चली रही हे | जिसका असर हमारे हिन्दू होने पर भी पद रहा हे |कोई भी राजनेतिक पार्टी हमें भाव नहीं दे रही हे| देश या विदेश में हिन्दुओ के मानवाधिकारों के हनन पर केंद्र की कांग्रेश सरकार चुप्पी साध जाती हे| बग्लादेश में हिन्दुओ के मानवाधिकार हनन पर वहा स्थित अमेरीकिदुतावास के राजदूत आवाज उठाते हे| पर भारतीय उच्चायोग कभी कुछ नहीं बोलता हे |

पाकिस्तान में इसइयो पर जरा सा भी अत्याचार होता देख अमेरिका तथा यूरोप के राजदूत इस्लामाबाद दोड़े चले आते हे| भारत ही एकमात्र ऐसा देश हे जहा बहुसखाक हिन्दू समाझ पर अघात स्वेदेश के समाचार पत्रों में स्थान पाते ह़ेओर ही शाशन तथा अन्य राजनेतिक दल विचलित होते हे |हमारे देश की पार्टिया अल्प्सखाक वोटो की चिंता करती हे | कुछ भी ऐसा नहीं करती जिससे उन्हें इन वोटो के दूर होने का खतरा हो | चाहे देश की एकता अखंडता सम्प्रुभुता हिख्तरे में क्यों पद जाये |

कुछ माह पहले मलेशिया के सेलान्गुर प्रान्त की राजधानी शाह आलम में मुश्लिमो ने नमाज के बाद शहर में निर्माधधिन हिन्दू मंदिर पर धावा बोल दिया | उनके नेता इब्राहीम हाजी सबरी ने धमकी दी की अगर मंदिर बनाया गया तो जो रक्त पात होगा उसके लिए हिन्दू जिम्मेवार होंगे | वह २५० से आधिक हिन्दू मंदिर तोड़ दिए गए|

तसलीमा नसरीन को भारत में सुरशित जगह देने का मामला हो या मकबूल फिदा हुसेन को भारत की नागरिकता छोड़ने के लिए राजी करने का मामला हो इन सभी बातो में हमारी राजनेतिक पार्टियों की विचारधारा साफ झलकती हे |पुरे विश्व में यदि कोई ऐसा इश्लामी या मुश्लिम बाहुल देश दुधने निकले जहा अल्प सख्यक {गेर मुस्लिमो } के साथ सामान्य एक सामान और सम्मानजनक क़ानूनी व्यव्हार किया जाता हो तोशायद एक भी देश ढूढने में परेशानी होगी| पाकिस्तान और बग्लादेश में तो हिन्दुओ के आवाज उठाने की गुंजाईश ही नहीं रही हे|

भारत और यहाँ के हिन्दू चुप हे क्यों की दुनिया में कही भी हिन्दुओ के मानवधिकारो के लिए आवाज उठाना सेकुलरवाद के खिलाप हे| हिन्दुओ के दर्द पर बोलने के लिए यहाँ फुरशत किसे हे| हिंदुत्व की पार्टी थी शिव सेना पर उस पार्टी के सर्वे सर्व बाल ठाकरे ने महारास्ट्र मराठियी कहे कह कर भारत में रहने वाले हिन्दुओ के आर्मानो पर पानी फेर दिया| देश के हिन्दू शिव सेना पर नाज करते थे की हां उनकी भी एक पार्टी हे जो हिंदुत्व की बात करती हे पर वह महारास्ट्र मराठियों का हे कह कर वाही सिमट कर रह गयी |

राजनेताओ द्वारा भारत में हिंदुत्व के प्रतिचल ने हिन्दू समाज के एकत्व और बल को तो कमजोर किया ही हे विश्व में हिन्दुओ के मनोवल पर उसका गभीर असर पड़ा हे|

एक लेख में मैंने पड़ा था राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भगवत ने इस सन्दर्भ में असंग्दिग्ध हिन्दू एकता पर बल देते हुए गेर राजनेतिक सांगठनिक कार्यो के विस्तार पर काफी जोर दिया हे| जिसे अपने हिन्दू धर्म के प्रति लज्जा वोध या संकोच हो या जो राजनेतिक नफा नुकशान के तराजू पर हिन्दू हितो के सम्बन्ध में आवाज उठाने या उठाने का फेसला करे उन तत्वों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती हे|

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