औषधीय गुणकारी
गाय का दूध अमृत के समान है, गाय से प्राप्त दूध, घी, मक्खन से मानव शरीर पुष्ट बनता है।
गाय के गोबर का प्रयोग चुल्हें बनाने, आंगन लिपने एवं मंगल कार्यो में लिया जाता है, और यहाँ तक की गाय के मूत्र से भी विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ बनाई जाती है, गाय के मूत्र में कैंसर, टीवी जैसे गंभीर रोगों से लड़ने की क्षमता होती हैं, जिसे वैज्ञानिक भी मान चुके है, तथा गौ-मूत्र के सेवन करने से पेट के सभी विकार दूर होते हैं।
भारतीय संस्कृति के अनुसार गाय ही ऐसा पशुजीव है, जो अन्य पशुओं में सर्वश्रेष्ठ और बुद्धिमान माना है।
ज्योतिष शास्त्र में भी नव ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाने के लिये गाय का ही वर्णन किया गया हैं।
यदि बच्चे को बचपन में गाय का दूध पिलाया जाए तो बच्चे की बुद्धि कुशाग्र होती है।
गाय की सेवा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।
हाथ-पांव में जलन होने पर गाय के घी से मालिश करने पर आराम मिलेगा।
शराब, गांजे या भांग का नशा ज़्यादा हो जाय तो गाय का घी में दो तोला चीनी मिलाकर देने में 15 मिनट में नशा कम हो जायेगा।
जल जाने वाले स्थान या घाव को पानी से धोकर गाय का घी लगाने से फफोले कम हो जाते हैं और जलन कम हो जाती है।
बच्चों को सर्दी या कफ की शिकायत हो जाये तो गाय के घी से छाती और पीठ पर मालिश करने से तुरन्त आराम मिलता है
किसी मनुष्य को अगर हिचकी आये तो उसे रोकने के लिये आधा चम्मच गाय का घी पिलाने से हिचकी रुक जाती है।
यदि किसी मनुष्य को सर्प काट जाये तो उसे 70 या 150 ग्राम गाय का ताजा घी पिलाकर 40-50 मिनट बाद जितना गर्म पानी पी सकें, पिलायें। इसके बाद उल्टी-दस्त होंगे, इसके बाद विष का प्रभाव कम होने लगेगा।
गाय का दूध अमृत के समान है, गाय से प्राप्त दूध, घी, मक्खन से मानव शरीर पुष्ट बनता है।
गाय के गोबर का प्रयोग चुल्हें बनाने, आंगन लिपने एवं मंगल कार्यो में लिया जाता है, और यहाँ तक की गाय के मूत्र से भी विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ बनाई जाती है, गाय के मूत्र में कैंसर, टीवी जैसे गंभीर रोगों से लड़ने की क्षमता होती हैं, जिसे वैज्ञानिक भी मान चुके है, तथा गौ-मूत्र के सेवन करने से पेट के सभी विकार दूर होते हैं।
भारतीय संस्कृति के अनुसार गाय ही ऐसा पशुजीव है, जो अन्य पशुओं में सर्वश्रेष्ठ और बुद्धिमान माना है।
ज्योतिष शास्त्र में भी नव ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाने के लिये गाय का ही वर्णन किया गया हैं।
यदि बच्चे को बचपन में गाय का दूध पिलाया जाए तो बच्चे की बुद्धि कुशाग्र होती है।
गाय की सेवा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।
हाथ-पांव में जलन होने पर गाय के घी से मालिश करने पर आराम मिलेगा।
शराब, गांजे या भांग का नशा ज़्यादा हो जाय तो गाय का घी में दो तोला चीनी मिलाकर देने में 15 मिनट में नशा कम हो जायेगा।
जल जाने वाले स्थान या घाव को पानी से धोकर गाय का घी लगाने से फफोले कम हो जाते हैं और जलन कम हो जाती है।
बच्चों को सर्दी या कफ की शिकायत हो जाये तो गाय के घी से छाती और पीठ पर मालिश करने से तुरन्त आराम मिलता है
किसी मनुष्य को अगर हिचकी आये तो उसे रोकने के लिये आधा चम्मच गाय का घी पिलाने से हिचकी रुक जाती है।
यदि किसी मनुष्य को सर्प काट जाये तो उसे 70 या 150 ग्राम गाय का ताजा घी पिलाकर 40-50 मिनट बाद जितना गर्म पानी पी सकें, पिलायें। इसके बाद उल्टी-दस्त होंगे, इसके बाद विष का प्रभाव कम होने लगेगा।
हाय हिंद में हो
गई हिन्दी
ही बेहाल,
हिन्दी मास
बनाएँ हम
बिन चूके
हर साल.
आती हिन्दी याद हमें वर्ष में एक माह, बाक़ी पूरे वर्षभर हिन्दी भरती आह.
अंग्रेजी का हो रहा ऐसा भूत सवार, संडे-संडे सब बकें, भूल गये रविवार.
अब बाबूजी मर गये जिन्दा हो गये डेड, भावनाएं सब हो गईं अंग्रेजी में कैद.
जो बोले हिन्दी यहाँ, उसको समझें हीन, अंग्रेजी के सामने हिन्दी की तोहीन.
माना अच्छी बात है हर भाषा का ज्ञान, किन्तु कहाँ तक उचित है हिन्दी का अपमान?
हिन्दी के उपयोग में क्यों इतना संकोच? किस भाषा में पाओगे हिन्दी जैसा लोच?
हिन्दी जो बन कर रही हर भाषा का ताज, हमने इसको कर दिया परिचय का मोहताज.
क्यों यह हिन्दी दिवस है? क्यों यह हिन्दी मास? क्या हिन्दी का रह जायेगा बस इतना इतिहास?
आओ मित्रों ! हिन्दी में ही बात करें और काम, तब ही हिन्दी पायेगी सम्मानित स्थान.
आती हिन्दी याद हमें वर्ष में एक माह, बाक़ी पूरे वर्षभर हिन्दी भरती आह.
अंग्रेजी का हो रहा ऐसा भूत सवार, संडे-संडे सब बकें, भूल गये रविवार.
अब बाबूजी मर गये जिन्दा हो गये डेड, भावनाएं सब हो गईं अंग्रेजी में कैद.
जो बोले हिन्दी यहाँ, उसको समझें हीन, अंग्रेजी के सामने हिन्दी की तोहीन.
माना अच्छी बात है हर भाषा का ज्ञान, किन्तु कहाँ तक उचित है हिन्दी का अपमान?
हिन्दी के उपयोग में क्यों इतना संकोच? किस भाषा में पाओगे हिन्दी जैसा लोच?
हिन्दी जो बन कर रही हर भाषा का ताज, हमने इसको कर दिया परिचय का मोहताज.
क्यों यह हिन्दी दिवस है? क्यों यह हिन्दी मास? क्या हिन्दी का रह जायेगा बस इतना इतिहास?
आओ मित्रों ! हिन्दी में ही बात करें और काम, तब ही हिन्दी पायेगी सम्मानित स्थान.
हमारा देश महान है
जहाँ ऐसी
पुन्य आत्मा
वस्ती है
मानव कल्याण
का अनोखा
दर्शन , भीख नहीं , पुण्य की अनोखी मिशाल | अपने लिया तो सभी जीते है, पर दूसरो के लिए जी कर तो देखो ! देश के लुटेरे नेताओ को ऐसी दिव्या आत्माओ से कुछ तो सबक लेना चाहिए ! ( कृप्या अवश्य पड़ें )
ॐ
जय भारत माँ
पेट भरने के लिए सड़कों पर भीख मांगने वाले भिखारी तो हर
कहीं देखने को मिल जाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसे भिखारी हैं
जो भीख मांगकर जुटाए गए पैसों से गरीब और बेसहारा लड़कियों की शादी कराकर
उनकी जिंदगी खुशहाल बना रहे हैं।
सोनभद्र जिले के निवासी रमाशंकर कुशवाहा (58) रामगढ़
कस्बे में स्थित शवि मंदिर के महंत हैं। पूरे इलाके में ये 'भिखारी बाबा'
के नाम से मशहूर हैं। भिखारी बाबा अब तक करीब 600 गरीब आदिवासी व दलित
कन्याओं का विवाह कराकर उनका घर बसवा चुके हैं।
भिखारी बाबा ने कहा, ''मुझे हर बेसहारा और गरीब कन्या
में अपनी बेटी नजर आती है। मैं नहीं चाहता है कि धन के अभाव में किसी
कन्या की डोली न उठ पाए। इसलिए शादी कराके उनका जीवन सुखमय बनाने के लिए
मैं भीख मांगता हूं।''
लड़कियों की शादी में खर्च होने वाला धन जुटाने के लिए
वह साल भर अपने शिष्यों के साथ घूम-घूम कर भीख मांगते हैं।
बाबा कहते हैं, ''हर महीने के करीब पंदह दिन मैं अपने
शिष्यों के साथ सोनभद्र और आस-पास के जिलों में भीख मांगता हूं। फिर शादी
के मुहूर्त वाले महीनों फरवरी से जून के बीच में कोई एक दिन निर्धारित
करके लोगों की मदद से शवि मंदिर परिसर में विवाह समारोह आयोजित करता
हूं।''
भिखारी बाबा भीख मांगकर पिछले 5 सालों से सोनभद्र और
आस-पास के जिलों की गरीब आदिवासी और दलित लड़कियों की सामूहिक शादी कराते
आ रहे हैं।
बाबा के जीवन में घटी एक मार्मिक घटना ने उन्हें इस काम
को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। बाबा कहते हैं, ''साल 2005 में मेरे
आश्रम के पास संतोष कुमार नाम का एक युवक आया और कुएं का पानी पीकर छाया
में सुस्ताने लगा। तभी उसे अचानक दिल का दौरा पड़ गया और उसकी वहीं पर
मौत हो गई। संतोष के घर में केवल उसकी एक छोटी बहन रीता थी। उसकी मौत की
खबर पाकर वहां बदहवास हालत में वहां आई और रो-रोकर कहने लगी कि अब उसका
क्या होगा..कौन उसकी देखभाल करेगा। उसे रोता बिलखता देख मैंने सबके सामने
उसकी शादी कराने का ऐलान किया और उसी समय प्रण लिया कि आज से मैं बेसहारा
और गरीब कन्याओं की शादी कराऊंगा।''
बाबा के मुताबिक 2005 में पहली बार रीता के साथ उन्होंने 21
गरीब कन्याओं की शादी करवाकर इस मुहिम की शुरुआत की थी। उसके बाद से
लगातार यह सिलसिला जारी है। बीते साल उन्होंने 100 से अधिक कन्याओं का
सामूहिक विवाह करवाया। अगले साल भिखारी बाबा का 106 लड़कियों का यह कार्य
कोई देवात्मा ही कर सकती है |माँ बाप का दायित्व निभाना तो पुण्य का
कार्य है |विवाह कराने की प्रण है।
जिस अनाथ लड़की के माता-पिता नहीं होते हैं भिखारी बाबा उसके
लिए उसी की जाति का वर खोजकर शादी करवाते हैं। यहीं नहीं लड़की को
मां-बांप की कमी न महसूस हो इसके लिए वह बाकायदा कन्यादान भी करते हैं।
अब भ्रष्टाचार १००% नहीं बल्कि ११५% हो जायेगा और राबर्ट क्लाइव के बहुत सारे भाई पैदा हो जायेगे......
दोस्तों, ध्यान दीजिये,
जो सरकार भ्रष्टाचार और देश में लूट और डकैती से कमाए गए एवं विदेशी बैंको में जमा किये गए ४०० लाख करोड़ रुपये के काले धन को १५% टैक्स लेकर उस काले धन को भारत के किसी भी बैंक में जमा करने की छूट दे रही हो, बजाय इसके की इन भ्रष्टाचारियो को सारे आम फांसी पर लटका देने के, उस सरकार और उनके सांसदों को सत्ता में बने रहने का अधिकार है क्या ????????
राबर्ट क्लाइव के पास सिर्फ ३५० सैनिक थे जब उसने छल और कपट से सेनापति मीर जाफर को धन का लालच देकर सिराजुद्दौला के १८००० सैनिको को बंदी बना लिए था, तो आप सोचिये १५०० करोड़ रुपये खर्च करके क्या किये जा सकता है????? उलझ गए आप...
इन पैसो से भारतीयों को स्थाई तौर से विदेशी परस्तो का गुलाम बनाया जा सकता है,
१००० करोड़ रुपये से पूरी तरह से समर्पित १००० gundo को ३० साल तक ५००००/- रुपये प्रति माह वेतन देकर ५ जिलों को ३ महीने के अन्दर गुलाम बनाया जा सकता है, और ५०० करोड़ रुपये खर्च करके १००० पूरी तरह से समर्पित मुखबिरो की फ़ौज कड़ी की जा सकती है जो की ५०,०००/- वेतन लेकर १० साल तक सेवा करते हुए सभी विपरीत सोच वाले लोगो का सफाया कर सकते है, एक रियासत स्थापित करने के और क्या चाहिए, चुनाव लड़ने की क्या आवश्यकता है,
और जो इस बार गुलामी आयी तो वह सिर्फ सर्वनाश से ही समाप्त होगी उसका उपाय कोई नहीं जानता है.
१०० रुपये रोजाना की मजदूरी करके ८० रुपये किलो की दाल खरीदने वाला तो इनसे लोहा नहीं ले पायेगा, कारन आप सोच सकते है.
फिर आम जनता क्या क्या कर अदा करेगी यह भविष्य के गर्त में है, जब अंग्रेज आये थे तब भारत में उनका कोई रिश्तेदार नहीं था जो उन्हें दिल से सहायता देता , इन काले अंग्रेजो का तो बहुत ही बड़ा पढ़े लिखे लोंगो का खतरनाक नेटवर्क है, इन काले अंग्रेजो ने तो गोरे अंग्रेजो के जाते ही भारत माता की लूट ऐसे मचाई जैसा की पहले कभी नहीं हुआ, एक तरफ ऐसे भी गरीब है जो खर्च से बचने के लिए अपनी चिकित्सा तक नहीं करते है की खाना क्या खायेंगे .
इन भ्रष्टाचारियो के पास तो लाखो करोड़ है, ये तो एक ही साल में इस भारत माँ को राष्ट्रप्रेमियो से विहीन कर देंगे और फिर मताए राष्ट्रभक्त जनना ही बंद कर देंगी, तब शुरू होगा गुलामी का एक अंतहीन सिलसिला जिसके लिए कितने लोंगो की जान जायेगी कोई नहीं जानता,
इसके साथ साथ विदेशियों के द्वारा जो कुछ किया जायेगा असका अंदाजा आप स्वयं लगाइए,
सीधे शब्दों में लोकतंत्र समाप्त हो जायेगा और कुछ ही समय में विदेशियों का खतरनाक खेल शुरू हो जायेगा, देश तुकडे तुकडे हो जायेगा सिर्फ इन १५% टैक्स वसूली के चक्कर में.
काले धन को सीधे सरकारी खजाने में जमा किया जाना chahiye, भ्रष्टाचारियो को सारे आम फांसी दे दी जाये, प्यार से कुछ नहीं होगा, राष्ट्रद्रोह की तो सिर्फ एक ही सजा है......
जब ये चोरकट १५% टैक्स देकर आमजन पर कब्जा करेगे तो कितना टैक्स वसूलेंगे ये कभी सोनिया और मनमोहन ने सोचा है,
और अब तो गारंटी के साथ लोग १००००० करोड़ की जगह ११५००० का घोटाला करेंगे, देश को ही बेच देंगे और १००००० करोड़ का शुद्ध सफ़ेद धन बटोर कर आमजन को तबाह कर देंगे, पूरी धरती खरीद लेंगे, जिसे चाहे मरवा देंगे, जिसकी चाहे आबरू लूट लेंगे, जो चाहे वो करेंगे,
इन सब से बचने के लिए राष्ट्रप्रेमियो का साथ दीजिये,
दर्शन , भीख नहीं , पुण्य की अनोखी मिशाल | अपने लिया तो सभी जीते है, पर दूसरो के लिए जी कर तो देखो ! देश के लुटेरे नेताओ को ऐसी दिव्या आत्माओ से कुछ तो सबक लेना चाहिए ! ( कृप्या अवश्य पड़ें )
ॐ
जय भारत माँ
पेट भरने के लिए सड़कों पर भीख मांगने वाले भिखारी तो हर
कहीं देखने को मिल जाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसे भिखारी हैं
जो भीख मांगकर जुटाए गए पैसों से गरीब और बेसहारा लड़कियों की शादी कराकर
उनकी जिंदगी खुशहाल बना रहे हैं।
सोनभद्र जिले के निवासी रमाशंकर कुशवाहा (58) रामगढ़
कस्बे में स्थित शवि मंदिर के महंत हैं। पूरे इलाके में ये 'भिखारी बाबा'
के नाम से मशहूर हैं। भिखारी बाबा अब तक करीब 600 गरीब आदिवासी व दलित
कन्याओं का विवाह कराकर उनका घर बसवा चुके हैं।
भिखारी बाबा ने कहा, ''मुझे हर बेसहारा और गरीब कन्या
में अपनी बेटी नजर आती है। मैं नहीं चाहता है कि धन के अभाव में किसी
कन्या की डोली न उठ पाए। इसलिए शादी कराके उनका जीवन सुखमय बनाने के लिए
मैं भीख मांगता हूं।''
लड़कियों की शादी में खर्च होने वाला धन जुटाने के लिए
वह साल भर अपने शिष्यों के साथ घूम-घूम कर भीख मांगते हैं।
बाबा कहते हैं, ''हर महीने के करीब पंदह दिन मैं अपने
शिष्यों के साथ सोनभद्र और आस-पास के जिलों में भीख मांगता हूं। फिर शादी
के मुहूर्त वाले महीनों फरवरी से जून के बीच में कोई एक दिन निर्धारित
करके लोगों की मदद से शवि मंदिर परिसर में विवाह समारोह आयोजित करता
हूं।''
भिखारी बाबा भीख मांगकर पिछले 5 सालों से सोनभद्र और
आस-पास के जिलों की गरीब आदिवासी और दलित लड़कियों की सामूहिक शादी कराते
आ रहे हैं।
बाबा के जीवन में घटी एक मार्मिक घटना ने उन्हें इस काम
को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। बाबा कहते हैं, ''साल 2005 में मेरे
आश्रम के पास संतोष कुमार नाम का एक युवक आया और कुएं का पानी पीकर छाया
में सुस्ताने लगा। तभी उसे अचानक दिल का दौरा पड़ गया और उसकी वहीं पर
मौत हो गई। संतोष के घर में केवल उसकी एक छोटी बहन रीता थी। उसकी मौत की
खबर पाकर वहां बदहवास हालत में वहां आई और रो-रोकर कहने लगी कि अब उसका
क्या होगा..कौन उसकी देखभाल करेगा। उसे रोता बिलखता देख मैंने सबके सामने
उसकी शादी कराने का ऐलान किया और उसी समय प्रण लिया कि आज से मैं बेसहारा
और गरीब कन्याओं की शादी कराऊंगा।''
बाबा के मुताबिक 2005 में पहली बार रीता के साथ उन्होंने 21
गरीब कन्याओं की शादी करवाकर इस मुहिम की शुरुआत की थी। उसके बाद से
लगातार यह सिलसिला जारी है। बीते साल उन्होंने 100 से अधिक कन्याओं का
सामूहिक विवाह करवाया। अगले साल भिखारी बाबा का 106 लड़कियों का यह कार्य
कोई देवात्मा ही कर सकती है |माँ बाप का दायित्व निभाना तो पुण्य का
कार्य है |विवाह कराने की प्रण है।
जिस अनाथ लड़की के माता-पिता नहीं होते हैं भिखारी बाबा उसके
लिए उसी की जाति का वर खोजकर शादी करवाते हैं। यहीं नहीं लड़की को
मां-बांप की कमी न महसूस हो इसके लिए वह बाकायदा कन्यादान भी करते हैं।
अब भ्रष्टाचार १००% नहीं बल्कि ११५% हो जायेगा और राबर्ट क्लाइव के बहुत सारे भाई पैदा हो जायेगे......
दोस्तों, ध्यान दीजिये,
जो सरकार भ्रष्टाचार और देश में लूट और डकैती से कमाए गए एवं विदेशी बैंको में जमा किये गए ४०० लाख करोड़ रुपये के काले धन को १५% टैक्स लेकर उस काले धन को भारत के किसी भी बैंक में जमा करने की छूट दे रही हो, बजाय इसके की इन भ्रष्टाचारियो को सारे आम फांसी पर लटका देने के, उस सरकार और उनके सांसदों को सत्ता में बने रहने का अधिकार है क्या ????????
राबर्ट क्लाइव के पास सिर्फ ३५० सैनिक थे जब उसने छल और कपट से सेनापति मीर जाफर को धन का लालच देकर सिराजुद्दौला के १८००० सैनिको को बंदी बना लिए था, तो आप सोचिये १५०० करोड़ रुपये खर्च करके क्या किये जा सकता है????? उलझ गए आप...
इन पैसो से भारतीयों को स्थाई तौर से विदेशी परस्तो का गुलाम बनाया जा सकता है,
१००० करोड़ रुपये से पूरी तरह से समर्पित १००० gundo को ३० साल तक ५००००/- रुपये प्रति माह वेतन देकर ५ जिलों को ३ महीने के अन्दर गुलाम बनाया जा सकता है, और ५०० करोड़ रुपये खर्च करके १००० पूरी तरह से समर्पित मुखबिरो की फ़ौज कड़ी की जा सकती है जो की ५०,०००/- वेतन लेकर १० साल तक सेवा करते हुए सभी विपरीत सोच वाले लोगो का सफाया कर सकते है, एक रियासत स्थापित करने के और क्या चाहिए, चुनाव लड़ने की क्या आवश्यकता है,
और जो इस बार गुलामी आयी तो वह सिर्फ सर्वनाश से ही समाप्त होगी उसका उपाय कोई नहीं जानता है.
१०० रुपये रोजाना की मजदूरी करके ८० रुपये किलो की दाल खरीदने वाला तो इनसे लोहा नहीं ले पायेगा, कारन आप सोच सकते है.
फिर आम जनता क्या क्या कर अदा करेगी यह भविष्य के गर्त में है, जब अंग्रेज आये थे तब भारत में उनका कोई रिश्तेदार नहीं था जो उन्हें दिल से सहायता देता , इन काले अंग्रेजो का तो बहुत ही बड़ा पढ़े लिखे लोंगो का खतरनाक नेटवर्क है, इन काले अंग्रेजो ने तो गोरे अंग्रेजो के जाते ही भारत माता की लूट ऐसे मचाई जैसा की पहले कभी नहीं हुआ, एक तरफ ऐसे भी गरीब है जो खर्च से बचने के लिए अपनी चिकित्सा तक नहीं करते है की खाना क्या खायेंगे .
इन भ्रष्टाचारियो के पास तो लाखो करोड़ है, ये तो एक ही साल में इस भारत माँ को राष्ट्रप्रेमियो से विहीन कर देंगे और फिर मताए राष्ट्रभक्त जनना ही बंद कर देंगी, तब शुरू होगा गुलामी का एक अंतहीन सिलसिला जिसके लिए कितने लोंगो की जान जायेगी कोई नहीं जानता,
इसके साथ साथ विदेशियों के द्वारा जो कुछ किया जायेगा असका अंदाजा आप स्वयं लगाइए,
सीधे शब्दों में लोकतंत्र समाप्त हो जायेगा और कुछ ही समय में विदेशियों का खतरनाक खेल शुरू हो जायेगा, देश तुकडे तुकडे हो जायेगा सिर्फ इन १५% टैक्स वसूली के चक्कर में.
काले धन को सीधे सरकारी खजाने में जमा किया जाना chahiye, भ्रष्टाचारियो को सारे आम फांसी दे दी जाये, प्यार से कुछ नहीं होगा, राष्ट्रद्रोह की तो सिर्फ एक ही सजा है......
जब ये चोरकट १५% टैक्स देकर आमजन पर कब्जा करेगे तो कितना टैक्स वसूलेंगे ये कभी सोनिया और मनमोहन ने सोचा है,
और अब तो गारंटी के साथ लोग १००००० करोड़ की जगह ११५००० का घोटाला करेंगे, देश को ही बेच देंगे और १००००० करोड़ का शुद्ध सफ़ेद धन बटोर कर आमजन को तबाह कर देंगे, पूरी धरती खरीद लेंगे, जिसे चाहे मरवा देंगे, जिसकी चाहे आबरू लूट लेंगे, जो चाहे वो करेंगे,
इन सब से बचने के लिए राष्ट्रप्रेमियो का साथ दीजिये,
यहाँ तक कई तथा
कथित बुद्धिमान
ब्यक्ति भारत
का महाजूदा
हालत के
बारे मैं
कुछ भी
नहीं जानते.
काम पे जाते हैं, साम को आते हैं, मौज भी करते हैं, खा पीके रत को सो जाते हैं.और यह सोच ते हैं की हम आजाद हैं.
कहाँ की आज़ादी, कैसी आज़ादी ?
only transfer of power को आजाद समझने वालों की कमी नहीं है इस देश मैं.
white collar वाले बहुत है इस देश मैं.राजनीति को कीचड़ समझ ने वाले बहुत है इस देश मैं.
हर साल इस देश मैं कई IIT Engineers passout होते हैं.क्या कोई गलती से चाहता है की politics join करें.आखिर क्यों ?
सारे talents अगर ऐसे पीछे भागेंगे तो जाहिर है सारे चोर उचका लूटने के लिए आगे आ ही जयेंगे ना..
क्यों की सभी को तो यह पता ही है की पोलिटिक्स एक ऐसी जगह है जहाँ पे सब से ज्यादा दिमाग तो चाहिए मगर बिना दिमाग के भी लूट सकते हैं.आखिर लूट ने के लिए कोई तलेंट की थोड़ी ही ज़र्रोरत है ?
जब हर आदमी,हर औरत,हर बचा और हर बुध जानेगा की कैसे यह नेता लोग अपने देश को लूटते हैं तब तक यह लढाई जारी रहनी चाहिए.
जब सब जागेंगे और सारे नेताओं को अपने पों टेल रोंद डालेंगे तब जाके भारत माता की दिल पे ठंडक पड़ेगी.
काम पे जाते हैं, साम को आते हैं, मौज भी करते हैं, खा पीके रत को सो जाते हैं.और यह सोच ते हैं की हम आजाद हैं.
कहाँ की आज़ादी, कैसी आज़ादी ?
only transfer of power को आजाद समझने वालों की कमी नहीं है इस देश मैं.
white collar वाले बहुत है इस देश मैं.राजनीति को कीचड़ समझ ने वाले बहुत है इस देश मैं.
हर साल इस देश मैं कई IIT Engineers passout होते हैं.क्या कोई गलती से चाहता है की politics join करें.आखिर क्यों ?
सारे talents अगर ऐसे पीछे भागेंगे तो जाहिर है सारे चोर उचका लूटने के लिए आगे आ ही जयेंगे ना..
क्यों की सभी को तो यह पता ही है की पोलिटिक्स एक ऐसी जगह है जहाँ पे सब से ज्यादा दिमाग तो चाहिए मगर बिना दिमाग के भी लूट सकते हैं.आखिर लूट ने के लिए कोई तलेंट की थोड़ी ही ज़र्रोरत है ?
जब हर आदमी,हर औरत,हर बचा और हर बुध जानेगा की कैसे यह नेता लोग अपने देश को लूटते हैं तब तक यह लढाई जारी रहनी चाहिए.
जब सब जागेंगे और सारे नेताओं को अपने पों टेल रोंद डालेंगे तब जाके भारत माता की दिल पे ठंडक पड़ेगी.
हमारे नेता लोगो के मुह पर एक तमाचा है, जो जनता के पेसो से
अपना पेट भर रहे है |
अपने लिया तो सभी जीते है दूसरो के लिए जियो, यह कार्य कोई
देवात्मा ही कर सकती है , माँ बाप का दायित्व निभाना तो पुण्य का कार्य
है , तभी ऐँसे महापुरुषो से दुनिया है|
बाबा आप अनमोल है , आप भारत की शान है , आप भारत के लिए एक
चिराग हो , जो सबको रोशनी देता है.
बाबा आपको इस अदने से आदमी का दंडवत प्रणाम
इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के दुश्मन थे |
एक शुरुआत...
अमरपुरी से भी बढ़कर के जिसका गौरव-गान है-
तीन लोक से न्यारा अपना प्यारा हिंदुस्तान है।
गंगा, यमुना सरस्वती से सिंचित जो गत-क्लेश है।
सजला, सफला, शस्य-श्यामला जिसकी धरा विशेष है।
ज्ञान-रश्मि जिसने बिखेर कर किया विश्व-कल्याण है-
सतत-सत्य-रत, धर्म-प्राण वह अपना भारत देश है।
यहीं मिला आकार 'ज्ञेय' को मिली नई सौग़ात है-
इसके 'दर्शन' का प्रकाश ही युग के लिए विहान है।
वेदों के मंत्रों से गुंजित स्वर जिसका निर्भ्रांत है।
प्रज्ञा की गरिमा से दीपित जग-जीवन अक्लांत है।
अंधकार में डूबी संसृति को दी जिसने दृष्टि है-
तपोभूमि वह जहाँ कर्म की सरिता बहती शांत है।
इसकी संस्कृति शुभ्र, न आक्षेपों से धूमिल कभी हुई-
अति उदात्त आदर्शों की निधियों से यह धनवान है।।
योग-भोग के बीच बना संतुलन जहाँ निष्काम है।
जिस धरती की आध्यात्मिकता, का शुचि रूप ललाम है।
निस्पृह स्वर गीता-गायक के गूँज रहें अब भी जहाँ-
कोटि-कोटि उस जन्मभूमि को श्रद्धावनत प्रणाम है।
यहाँ नीति-निर्देशक तत्वों की सत्ता महनीय है-
ऋषि-मुनियों का देश अमर यह भारतवर्ष महान है।
क्षमा, दया, धृति के पोषण का इसी भूमि को श्रेय है।
सात्विकता की मूर्ति मनोरम इसकी गाथा गेय है।
बल-विक्रम का सिंधु कि जिसके चरणों पर है लोटता-
स्वर्गादपि गरीयसी जननी अपराजिता अजेय है।
समता, ममता और एकता का पावन उद्गम यह है
देवोपम जन-जन है इसका हर पत्थर भगवान है।
....ये कोई शुरूआत नहीं है...न ही कोई मिशन..बल्कि ये एक नजरिया है...एक सोच है...जो वक्त की आपाधापी में ज़हन से दूर हो चुकी है... धुंधली ही सही...लेकिन वो सोच अब भी जिन्दा है.....ये वो सवाल है...जिसका जवाब हम जानते हैं...लेकिन देना नहीं चाहते....ये राह है...जो हमने देखी है...लेकिन चलना नहीं चाहते...ये वो बदलाव है..जो हमें पसंद है...लेकिन हम बदलना नहीं चाहते..
यथा ह्यनास्वादयितुम् न शक्यम्, जिह्वातलस्थम् मधु वा विषम् वा।
अर्थस्तथा ह्यर्थचरेण राज्ञः, स्वल्पो३प्यनास्वादयितुम् न शक्यः॥
अर्थात् – जैसे जिह्वा पर रखे हुए मधु वा विष का स्वाद न लिया जाय, ऐसा नहीं हो सकता; उसी प्रकार अर्थ/धन के व्यवहार पर नियुक्त व्यक्ति उस धन का तनिक भी स्वाद न ले ऐसा नहीं हो सकता।
कभी सोचा है क्यों...
तिरंगा....इस
शब्द को सोचो...समझो........ताकत खुद-ब-खुद बढ़ जाएगी...रंगों में बहता खून खुद बा खुद खौलने लगेगा....क्यों एक सिपाही सरहद पर जान देने को तैयार है...शायद ये इन तीन रंगों के पीछे छिपा एक जज्बा ही तो है कि सियाचीन की बर्फीली पहाड़ियों पर एक सिपाही अपनी हड्डियां गला देता है......क्यों परदेस में हमें खुद के भारतीय होने पर गर्व होता.....क्यों हमारे हाथ में जब तिरंगा होता है..तो हम उसे झुकने नहीं देते......गिरने नहीं देते....वजह है....इस तिरंगे से लिपटे... तीन रंग....जो हमारे शरीर, लहू और आत्मा की पहचान हैं.
बात देश को बदलने की नहीं है...देश वैसा ही है जैसा बरसों पहले था...कुछ बदल है..तो हम...कुछ बदला है तो हमारी सोच....सोच बदलेगी तो क्रांति फिर आएगी...फिर बसंती रंग आंखों पर छाएगा...सोने की चिड़िया फिर चहचहाएगी...
युवा हिन्दुस्तानी...ये बस नाम नहीं है...बल्कि ये एक अहसास है...कि हम सभी के अंदर आज भी एक हिन्दुस्तानी बसता है...जो आवाज़ देता है..लेकिन हम उसे बाहर नहीं आने देते..ये सोचकर कि आज वक्त नहीं है...आज ऑफिस जाना है...आज का दिन परिवार के लिए है...आज दोस्त से मिलना है......हम आपको आपको असली दोस्त से मिलवाना चाहते हैं...हम आप को आप से मिलवाना चाहते हैं....हम उस चीख को , जो आपके अंदर से उठती है...आपकी आवाज़ बनाना चाहते हैं...हम आपकी पहचान को..आपकी ताकत बनाना चाहते हैं...
भारत माता की जय..
जय हिंद
वन्दे मातरम
अमरपुरी से भी बढ़कर के जिसका गौरव-गान है-
तीन लोक से न्यारा अपना प्यारा हिंदुस्तान है।
गंगा, यमुना सरस्वती से सिंचित जो गत-क्लेश है।
सजला, सफला, शस्य-श्यामला जिसकी धरा विशेष है।
ज्ञान-रश्मि जिसने बिखेर कर किया विश्व-कल्याण है-
सतत-सत्य-रत, धर्म-प्राण वह अपना भारत देश है।
यहीं मिला आकार 'ज्ञेय' को मिली नई सौग़ात है-
इसके 'दर्शन' का प्रकाश ही युग के लिए विहान है।
वेदों के मंत्रों से गुंजित स्वर जिसका निर्भ्रांत है।
प्रज्ञा की गरिमा से दीपित जग-जीवन अक्लांत है।
अंधकार में डूबी संसृति को दी जिसने दृष्टि है-
तपोभूमि वह जहाँ कर्म की सरिता बहती शांत है।
इसकी संस्कृति शुभ्र, न आक्षेपों से धूमिल कभी हुई-
अति उदात्त आदर्शों की निधियों से यह धनवान है।।
योग-भोग के बीच बना संतुलन जहाँ निष्काम है।
जिस धरती की आध्यात्मिकता, का शुचि रूप ललाम है।
निस्पृह स्वर गीता-गायक के गूँज रहें अब भी जहाँ-
कोटि-कोटि उस जन्मभूमि को श्रद्धावनत प्रणाम है।
यहाँ नीति-निर्देशक तत्वों की सत्ता महनीय है-
ऋषि-मुनियों का देश अमर यह भारतवर्ष महान है।
क्षमा, दया, धृति के पोषण का इसी भूमि को श्रेय है।
सात्विकता की मूर्ति मनोरम इसकी गाथा गेय है।
बल-विक्रम का सिंधु कि जिसके चरणों पर है लोटता-
स्वर्गादपि गरीयसी जननी अपराजिता अजेय है।
समता, ममता और एकता का पावन उद्गम यह है
देवोपम जन-जन है इसका हर पत्थर भगवान है।
....ये कोई शुरूआत नहीं है...न ही कोई मिशन..बल्कि ये एक नजरिया है...एक सोच है...जो वक्त की आपाधापी में ज़हन से दूर हो चुकी है... धुंधली ही सही...लेकिन वो सोच अब भी जिन्दा है.....ये वो सवाल है...जिसका जवाब हम जानते हैं...लेकिन देना नहीं चाहते....ये राह है...जो हमने देखी है...लेकिन चलना नहीं चाहते...ये वो बदलाव है..जो हमें पसंद है...लेकिन हम बदलना नहीं चाहते..
यथा ह्यनास्वादयितुम् न शक्यम्, जिह्वातलस्थम् मधु वा विषम् वा।
अर्थस्तथा ह्यर्थचरेण राज्ञः, स्वल्पो३प्यनास्वादयितुम् न शक्यः॥
अर्थात् – जैसे जिह्वा पर रखे हुए मधु वा विष का स्वाद न लिया जाय, ऐसा नहीं हो सकता; उसी प्रकार अर्थ/धन के व्यवहार पर नियुक्त व्यक्ति उस धन का तनिक भी स्वाद न ले ऐसा नहीं हो सकता।
कभी सोचा है क्यों...
तिरंगा....इस
शब्द को सोचो...समझो........ताकत खुद-ब-खुद बढ़ जाएगी...रंगों में बहता खून खुद बा खुद खौलने लगेगा....क्यों एक सिपाही सरहद पर जान देने को तैयार है...शायद ये इन तीन रंगों के पीछे छिपा एक जज्बा ही तो है कि सियाचीन की बर्फीली पहाड़ियों पर एक सिपाही अपनी हड्डियां गला देता है......क्यों परदेस में हमें खुद के भारतीय होने पर गर्व होता.....क्यों हमारे हाथ में जब तिरंगा होता है..तो हम उसे झुकने नहीं देते......गिरने नहीं देते....वजह है....इस तिरंगे से लिपटे... तीन रंग....जो हमारे शरीर, लहू और आत्मा की पहचान हैं.
बात देश को बदलने की नहीं है...देश वैसा ही है जैसा बरसों पहले था...कुछ बदल है..तो हम...कुछ बदला है तो हमारी सोच....सोच बदलेगी तो क्रांति फिर आएगी...फिर बसंती रंग आंखों पर छाएगा...सोने की चिड़िया फिर चहचहाएगी...
युवा हिन्दुस्तानी...ये बस नाम नहीं है...बल्कि ये एक अहसास है...कि हम सभी के अंदर आज भी एक हिन्दुस्तानी बसता है...जो आवाज़ देता है..लेकिन हम उसे बाहर नहीं आने देते..ये सोचकर कि आज वक्त नहीं है...आज ऑफिस जाना है...आज का दिन परिवार के लिए है...आज दोस्त से मिलना है......हम आपको आपको असली दोस्त से मिलवाना चाहते हैं...हम आप को आप से मिलवाना चाहते हैं....हम उस चीख को , जो आपके अंदर से उठती है...आपकी आवाज़ बनाना चाहते हैं...हम आपकी पहचान को..आपकी ताकत बनाना चाहते हैं...
भारत माता की जय..
जय हिंद
वन्दे मातरम
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